Wednesday, 2 November 2016

आँसू 




आँसू खुशियों का इज़हार हैं,
मोतियों की बौछार हैं,
पर फिर भी नज़र को धुंधला कर जाते हैं । 


आँसू मुहब्बत की सौगात हैं,
दुःखों का झंझावात हैं,
कभी मोतिया बन उतर आते हैं ।


आँसू भीतर का ग़ुबार हैं, 
रोष की ये धार हैं,
कभी रंग विहीन कर जाते हैं ।


आँसू नाज़ुक से हैं, 
कोमलता से सराबोर हैं,
फिर भी नश्तर से चुभते है।


आँसू ग़म में भी आ जाते हैं, 
दुःख की बरसात ले आते हैं,
कभी उन ग़मों को धो जाते हैं ।


आँसू शिशु की पुकार है,
आँसू माँ का प्यार है,
आँसू दिल से दिल का तार है।


आँसू कभी दिलों को जोङतें,  
तो कभी दिलों को तोङते, 
कभी मर्ज़ की दवा भी आँसू।


बेसाख्ता बरसते,
गालों पर लुढ़कते, ढुलकते,   
उफनते ज्वार से आँसू।


अलग-अलग अहसास लिये,
अलग -अलग जज़्बातों में बहे,
ये नमक की धारायें, ये आँसू ।


आँसू चाहे खुशी के हो
या हो ग़म के...
होते तो नमकीन ही हैं।।

©मधुमिता

No comments:

Post a Comment