Saturday, 28 January 2017


सुरमई सी शाम


नीलम सा आसमां,
पुखराजी चंदा,
हीरे से चमकते सितारे,
मोती से बेला के फूल
दमकते हुए, हरे पन्ने 
जैसे पत्तों के बीच,
उसपर बैठी
स्फटिक सी सौम्यता लिए 
ओस की खूबसूरत एक बूंद,
गुलाबी तुरमली सी शरमाती,
माणिक से लाल अहसास,
जीवंत, रुधिर से प्रवाह 
मे बहते हुए, दो प्रेममय दिल,
चांदी के चिलमन से झांकती
सुलेमानी सी,
पुरजोश शाम,  
कुछ मुंगई सपनों की
सुरमई सी शाम....!

©मधुमिता

No comments:

Post a Comment