Wednesday, 4 January 2017

गया साल!



बच्चों की मुस्कान सा मासूम, 
खिलखिलाता,
किलोल करता,
गया साल!

कभी आँसुओं का नमक,
कभी मीठी सी कसक, 
कई अरमान जगा गया,
गया साल!

कभी हँसाता, 
कभी रुलाता,
गुलाबी गुदगुदाहट,
गया साल! 

हाथों से नाक पोंछता बालक,
रौबीला, गबरू जवान,
झिझकती सी नवयौवना, 
गया साल!

अनगिनत सपने, 
सैंकडों अपने,
हज़ारों आस,
गया साल! 

उम्मीदों का दामन,
ममता भरा आँचल,
प्यार भरा आलिंगन,
गया साल!

सितारों की चमक
आँखों में, नव वधू की दमक,
दसियों जज़्बातों में भिगो गया,
गया साल!

फूलों की महक,
पंछियों की चहक,
मौसम की अंगङाई,
गया साल! 

सुर्ख लाल पके टमाटर सा
रंगीन, 
टपकने को था बेकरार,
गया साल!

पकती रोटी की सोंधी खुशबू 
चटनी की चटखार,
रबङी-मलाई सी रसीली,
गया साल!

©मधुमिता

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