Saturday, 16 September 2017

तार-तार


आज फिर दिल में कुछ चटक गया,
किसी को कुछ खटक गया,
कोई रिश्ता हुआ तार-तार ,
दोस्ती रोई ज़ार-ज़ार,
बेहिसाब दर्द है,
जज़्बात मानो सर्द हैं,
मुहब्बत है सिसक रही,
भरोसे की डोर फिसल रही,
आँसू कमबख़्त बरस रहे,
ज़ख़्म दिल के हाय, फिर रिस रहे !!

©®मधुमिता

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